About Naturopathy
पूज्य ज्ञानी भगवंतों द्वारा बताई गई व्यवस्था का परिपालन ही आरोगी जीवन की मूल पूँजी है। यथा-नवकारसी, एकासना, आयंबिल, ऊनोदरी तप साधना तथा सामायिक चैत्यवंदन, काऊसग्ग ध्यान द्वारा योगाभ्यास के मूलतत्व को जीवन जीने के उपक्रम के लिए अभ्यास में लाना ही आरोग्यम का जीवंत उद्देश्य है। इन तप एवं जप की क्रियाओं में निहित है शारीरिक एवं मानसिक स्वस्थता। आरोग्यम का लक्ष्य है इन क्रियाओं को विकसित करना और इसके लिए आरोग्यम संस्थान पूजयों के मार्गदर्शन एवं विद्वानों के अनुभव के माध्यम से प्रशिक्षित सेवाभावियों के साथ अग्रसर है।
एक सुन्दर आरोग्यम प्रस्तुत है। प्राकृतिक सम्पदा निरोगी शरीर, स्वस्थ मन और स्वस्थ आराधना के लिए अनुकूल बनाने में हम आपको सहभागी बनाना चाहते हैं। म. गाँधी के अनुसार प्राकृतिक चिकित्सा में जीवन परिवर्तन की बात आती है। आराधना के अनुकूल आरोग्यमयी शरीर की व्यवस्था को लेकर मानवीय सेवा वटवृक्ष के नीचे सद्भाविक समर्पण के साथ पुण्य सलिला भगवती महानदी की अनुसंगिनी शिवनाथ नदी की शस्य श्यामल उपत्यका में स्थापित है श्री उवसगहरं पाश्र्व तीर्थ। छत्तीसगढ़ जिला दुर्ग के ग्राम नगपुरा (पारस तीर्थ) की यह तपोभूमि दुर्ग नगर रेलवे स्टेशन से मात्र 16 किमी. दूर है और यहाँ हर ऋतु में पहुँचा जा सकता है।
पास ही नये भारत का नया औद्योगिक तीर्थ भिलाई स्टील प्लांट और उससे जुड़ा विशाल औद्योगिक परिक्षेत्र है। तीर्थ श्री का विहंगम निर्माण कार्य दर्शन-ज्ञान-चरित्र के रत्नत्रयी जीवन मंत्र की आराधना का काव्यमय समर्पण है। भारत के महान जैन तीर्थों की अप्रतिम महिमा श्रंृखला का नन्हा बिरवा आज निःसंदेह गरिमामय वट वृक्ष की तरह सतत् विकासमान है।
आध्यात्मिक दार्शनिक एवं सांस्कृतिक प्रभा जागृति का यह पावन धाम तब तक सम्पूर्णता की परिभाषा परिपूर्ण नहीं कर पायेगा जब तक अपने मूल चिंतन स्वस्थ मन स्वस्थ तन की सतत् सेवा आराधना को साकार नहीं कर लेता। अपने इसी विनम्र चिंतन की प्रभावी कड़ी के रूप में तीर्थ श्री की पावन निश्रा में सेवारत है एक अद्वितीय आरोग्यम और अनुसंधान केन्द्र। ऐसा प्रयास है कि केन्द्र तीर्थ की महत्ता के अनुरूप हो तथा मानव स्वास्थ्य सेवा सीमा का क्रांतिकारी उत्कर्ष छू सके। आरोग्यम एवं अनुसंधान केन्द्र की यह महती योजना सहज नहीं।
इसे मूर्त करने में धर्म प्राण, मानव सेवाव्रती, परदुःखकातर श्रद्धालुओं की माणिक लड़ी का सात्विक समर्पण चाहिए। आज की अनवरत प्रतिस्पर्धा जीवन प्रणाली, प्रतिद्वंदात्मक व्यापारिक व्यस्तता और पारिवारिक परिजनीय चक्रव्यूह परिच्छेदन की प्रक्रिया मानव मन मस्तिष्क को कितना शिथिल कर देते हैं यह केवल भुक्त भोगी ही समझ सकता है। थका विरोगोन्मुख मन ऐसे में शरण लेता है, केवल प्रभु वंदन और उनके मलयजी शीतल संरक्षण का, लेकिन कितनी देर। छिटक भटक कर अपनी मृग मरीचिका दौड़ में फिर घिर जाता है। मन की पीड़ा तन की पीड़ा साथ जुड़ी रहती है, रोगी तन, मन स्वस्थ आराधना करे तो कैसे। स्वस्थ जीवन जिये तो कैसे। इसकी सही देख संभाल और स्वस्थ परीक्षण, नियंत्रण तथा अभीष्ट स्वास्थ्य संवर्धन की दृष्टि से ही अग्रसर है यह अनुसंधानिक आरोग्यम।
परम शांतिमय तीर्थ क्षेत्र के विशाल भू-भाग पर योजना की क्रियान्विति को ठोस परिणाम दिया जा रहा है। वास्तु शिल्पियों के रुपांकन की पहली कड़ी में आधार भित्तियों हेतु खुदाई-जुड़ाई की श्रीगणेश कर दिया है। यह स्थल केवल एक स्वास्थ्य अथवा प्रचलित चिकित्सालयों की श्रृंखला में केवल एक होकर न रह जाए, इस पर निर्माण नियंत्रकों की सतत् जागरुक दृष्टि है। आरोग्यम् की परिकल्पना में परिसर चिकित्सालय, विभिन्न प्रणालियों के उपचार खंड, विस्तृत तरणताल, प्राकृतिक सुषमा से समृद्ध वन वीथिका सम्पन्न वनस्पति उद्यान, अधुनातन, रसायनशाला, योग साधना मंदिर, खेल परिसर आदि हैं।
यह तालिका यही समाप्त नहीं होती आवश्यकतानुसार एकांश के जोड़ने जुड़ने का क्रम तो बना ही रहेगा। जब तक यह संस्थान निर्माण पूर्णता की ओर अग्रसर रहेगी वैकल्पिक रूप में तीर्थ की निकटवर्ती दुगड़ निकेतन में प्रारंभ है। अनुरोध आपसे इस पुण्य सत्कर्म जीवन में प्रशंसक अथवा दयालु दानदाता के रूप में जुड़ जाना मात्र नहीं है, समाज के अनेकों कर्मवीरों के आग्रह अनुशंसा तथा सहयोग आश्वस्ति ने ही निर्माण कार्य के साथ हमें अपने समक्ष ला खड़ा किया है।
हम तो आग्रही हैं कि आप अपने यशस्वी जीवन में चक्रवर्तीय विकास सतत करें, लेकिन इस क्रम में स्वास्थ्य के पक्ष को अनदेखा कदापि न करें। अपने व्यस्त जीवन क्रम से केन्द्र की विभिन्न सेवा सुविधाओं का स्नेह आमंत्रण स्वीकारों और अपेक्षित लाभस्वयं ले तथा अपने परिजनों या कि इष्ट मित्रों को स्वेच्छा भेंट करें। हमें विश्वास है कि आप सहज ही हमारे मानवीय सेवा के इस महनीय प्रयास में सहभागी होंगे। आरोग्य भवन निर्माण संबंधी विस्तृत जानकारी के लिए सम्पर्क का अनुरोध है। स्व. श्री रावलमल जैन ‘मणि’ संस्थापक छत्तीसगढ़ प्राकृतिक एवं योग विज्ञान संस्थान, नगपुरा-दुर्ग, छत्तीसगढ़
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पूज्य ज्ञानी भगवंतों द्वारा बताई गई व्यवस्था का परिपालन ही आरोगी जीवन की मूल पूँजी है। यथा-नवकारसी, एकासना, आयंबिल, ऊनोदरी तप साधना तथा सामायिक चैत्यवंदन, काऊसग्ग ध्यान द्वारा योगाभ्यास के मूलतत्व को जीवन जीने के उपक्रम के लिए अभ्यास में लाना ही आरोग्यम का जीवंत उद्देश्य है। इन तप एवं जप की क्रियाओं में निहित है शारीरिक एवं मानसिक स्वस्थता। आरोग्यम का लक्ष्य है इन क्रियाओं को विकसित करना और इसके लिए आरोग्यम संस्थान पूजयों के मार्गदर्शन एवं विद्वानों के अनुभव के माध्यम से प्रशिक्षित सेवाभावियों के साथ अग्रसर है।
एक सुन्दर आरोग्यम प्रस्तुत है। प्राकृतिक सम्पदा निरोगी शरीर, स्वस्थ मन और स्वस्थ आराधना के लिए अनुकूल बनाने में हम आपको सहभागी बनाना चाहते हैं। म. गाँधी के अनुसार प्राकृतिक चिकित्सा में जीवन परिवर्तन की बात आती है। आराधना के अनुकूल आरोग्यमयी शरीर की व्यवस्था को लेकर मानवीय सेवा वटवृक्ष के नीचे सद्भाविक समर्पण के साथ पुण्य सलिला भगवती महानदी की अनुसंगिनी शिवनाथ नदी की शस्य श्यामल उपत्यका में स्थापित है श्री उवसगहरं पाश्र्व तीर्थ। छत्तीसगढ़ जिला दुर्ग के ग्राम नगपुरा (पारस तीर्थ) की यह तपोभूमि दुर्ग नगर रेलवे स्टेशन से मात्र 16 किमी. दूर है और यहाँ हर ऋतु में पहुँचा जा सकता है।
पास ही नये भारत का नया औद्योगिक तीर्थ भिलाई स्टील प्लांट और उससे जुड़ा विशाल औद्योगिक परिक्षेत्र है। तीर्थ श्री का विहंगम निर्माण कार्य दर्शन-ज्ञान-चरित्र के रत्नत्रयी जीवन मंत्र की आराधना का काव्यमय समर्पण है। भारत के महान जैन तीर्थों की अप्रतिम महिमा श्रंृखला का नन्हा बिरवा आज निःसंदेह गरिमामय वट वृक्ष की तरह सतत् विकासमान है।
आध्यात्मिक दार्शनिक एवं सांस्कृतिक प्रभा जागृति का यह पावन धाम तब तक सम्पूर्णता की परिभाषा परिपूर्ण नहीं कर पायेगा जब तक अपने मूल चिंतन स्वस्थ मन स्वस्थ तन की सतत् सेवा आराधना को साकार नहीं कर लेता। अपने इसी विनम्र चिंतन की प्रभावी कड़ी के रूप में तीर्थ श्री की पावन निश्रा में सेवारत है एक अद्वितीय आरोग्यम और अनुसंधान केन्द्र। ऐसा प्रयास है कि केन्द्र तीर्थ की महत्ता के अनुरूप हो तथा मानव स्वास्थ्य सेवा सीमा का क्रांतिकारी उत्कर्ष छू सके। आरोग्यम एवं अनुसंधान केन्द्र की यह महती योजना सहज नहीं।
इसे मूर्त करने में धर्म प्राण, मानव सेवाव्रती, परदुःखकातर श्रद्धालुओं की माणिक लड़ी का सात्विक समर्पण चाहिए। आज की अनवरत प्रतिस्पर्धा जीवन प्रणाली, प्रतिद्वंदात्मक व्यापारिक व्यस्तता और पारिवारिक परिजनीय चक्रव्यूह परिच्छेदन की प्रक्रिया मानव मन मस्तिष्क को कितना शिथिल कर देते हैं यह केवल भुक्त भोगी ही समझ सकता है। थका विरोगोन्मुख मन ऐसे में शरण लेता है, केवल प्रभु वंदन और उनके मलयजी शीतल संरक्षण का, लेकिन कितनी देर। छिटक भटक कर अपनी मृग मरीचिका दौड़ में फिर घिर जाता है। मन की पीड़ा तन की पीड़ा साथ जुड़ी रहती है, रोगी तन, मन स्वस्थ आराधना करे तो कैसे। स्वस्थ जीवन जिये तो कैसे। इसकी सही देख संभाल और स्वस्थ परीक्षण, नियंत्रण तथा अभीष्ट स्वास्थ्य संवर्धन की दृष्टि से ही अग्रसर है यह अनुसंधानिक आरोग्यम।
परम शांतिमय तीर्थ क्षेत्र के विशाल भू-भाग पर योजना की क्रियान्विति को ठोस परिणाम दिया जा रहा है। वास्तु शिल्पियों के रुपांकन की पहली कड़ी में आधार भित्तियों हेतु खुदाई-जुड़ाई की श्रीगणेश कर दिया है। यह स्थल केवल एक स्वास्थ्य अथवा प्रचलित चिकित्सालयों की श्रृंखला में केवल एक होकर न रह जाए, इस पर निर्माण नियंत्रकों की सतत् जागरुक दृष्टि है। आरोग्यम् की परिकल्पना में परिसर चिकित्सालय, विभिन्न प्रणालियों के उपचार खंड, विस्तृत तरणताल, प्राकृतिक सुषमा से समृद्ध वन वीथिका सम्पन्न वनस्पति उद्यान, अधुनातन, रसायनशाला, योग साधना मंदिर, खेल परिसर आदि हैं।
यह तालिका यही समाप्त नहीं होती आवश्यकतानुसार एकांश के जोड़ने जुड़ने का क्रम तो बना ही रहेगा। जब तक यह संस्थान निर्माण पूर्णता की ओर अग्रसर रहेगी वैकल्पिक रूप में तीर्थ की निकटवर्ती दुगड़ निकेतन में प्रारंभ है। अनुरोध आपसे इस पुण्य सत्कर्म जीवन में प्रशंसक अथवा दयालु दानदाता के रूप में जुड़ जाना मात्र नहीं है, समाज के अनेकों कर्मवीरों के आग्रह अनुशंसा तथा सहयोग आश्वस्ति ने ही निर्माण कार्य के साथ हमें अपने समक्ष ला खड़ा किया है।
हम तो आग्रही हैं कि आप अपने यशस्वी जीवन में चक्रवर्तीय विकास सतत करें, लेकिन इस क्रम में स्वास्थ्य के पक्ष को अनदेखा कदापि न करें। अपने व्यस्त जीवन क्रम से केन्द्र की विभिन्न सेवा सुविधाओं का स्नेह आमंत्रण स्वीकारों और अपेक्षित लाभस्वयं ले तथा अपने परिजनों या कि इष्ट मित्रों को स्वेच्छा भेंट करें। हमें विश्वास है कि आप सहज ही हमारे मानवीय सेवा के इस महनीय प्रयास में सहभागी होंगे। आरोग्य भवन निर्माण संबंधी विस्तृत जानकारी के लिए सम्पर्क का अनुरोध है। स्व. श्री रावलमल जैन ‘मणि’ संस्थापक छत्तीसगढ़ प्राकृतिक एवं योग विज्ञान संस्थान, नगपुरा-दुर्ग, छत्तीसगढ़
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- Arogyam,Durg, Chhattisgarh
-
Paras Nagar, Nagpura, Durg (Chhattisgarh), India
Our Treatments
प्रकृति के पंच भूतों पर आधारित प्राकृतिक उपचार की प्रविधियाँ :
प्रकृति के पंच भूतों पर आधारित प्राकृतिक उपचार की प्रविधियाँ :
प्रकृति के पंचभूत तत्वों जल, मिट्टी, धूप, हवा और आकाश के आधार पर पूर्ण प्राकृतिक सहज उपचार व्यवस्था है।
जल उपचार
स्टीम कम सोना बाथ, कटिस्नान, गर्म हस्तपाद स्नान, एनिमा डूश, लपेट, गीली चादर लपेट, जेट मसाज, सिटिंग बाथ, मेहन स्नान, पूर्ण टब एमर्शन स्नान, रीढ़ स्नान, पानी अन्तर्गत मालिश आदि।
स्टीम कम सोना बाथ, कटिस्नान, गर्म हस्तपाद स्नान, एनिमा डूश, लपेट, गीली चादर लपेट, जेट मसाज, सिटिंग बाथ, मेहन स्नान, पूर्ण टब एमर्शन स्नान, रीढ़ स्नान, पानी अन्तर्गत मालिश आदि।
मिट्टी उपचार
गंजी लेप एवं पंक स्नान द्वारा सभी चर्म रोगों की अदभुत तपस्या।
गंजी लेप एवं पंक स्नान द्वारा सभी चर्म रोगों की अदभुत तपस्या।
सूर्य उपचार
सूर्य स्नान, आदित्स पेटी स्नान, रंगीन रश्मि चिकित्सा आदि।
सूर्य स्नान, आदित्स पेटी स्नान, रंगीन रश्मि चिकित्सा आदि।
वायु उपचार
स्वासों एवं मुद्राओं द्वारा रोग निवारक तपस्यायें।
स्वासों एवं मुद्राओं द्वारा रोग निवारक तपस्यायें।
आकाश उपचार
पूर्ण उपवास आंशिक उपवास, फलाहार, रसोपवास इत्यादि।
पूर्ण उपवास आंशिक उपवास, फलाहार, रसोपवास इत्यादि।
अन्य प्रविधियाँ
गेहूँ पौध रस, मसाज, तेल, बिजली, पाउडर, शुष्कजल तथा रोग के अनुसार विभिन्न प्रकार की वैज्ञानिक मालिश।
गेहूँ पौध रस, मसाज, तेल, बिजली, पाउडर, शुष्कजल तथा रोग के अनुसार विभिन्न प्रकार की वैज्ञानिक मालिश।
जिम फिजियोथेरेपी
सर्वांइकिल ट्रेक्शन, सोल्डर व्हील, वाइब्रेटिंग बेल्ट, रोलिंग मशीन, वाकर, ट्रिमर, पैरेलल बार, इक्सर साइकिल इत्यादि।
सर्वांइकिल ट्रेक्शन, सोल्डर व्हील, वाइब्रेटिंग बेल्ट, रोलिंग मशीन, वाकर, ट्रिमर, पैरेलल बार, इक्सर साइकिल इत्यादि।
औषधी वैकल्पिक
एक्यूप्रेशर रोलर, हैण्ड एण्ड फुट रोलर, एक्यूप्रेशर ग्राउण्ड, पेट, कमर, सिर, घुटने, कलाई तथा गले का चुम्बकीय बेल्ट, एनर्जिक रोलर, एक्यूपंचर तथा मेग्नेटिक मसाजर इत्यादि।
एक्यूप्रेशर रोलर, हैण्ड एण्ड फुट रोलर, एक्यूप्रेशर ग्राउण्ड, पेट, कमर, सिर, घुटने, कलाई तथा गले का चुम्बकीय बेल्ट, एनर्जिक रोलर, एक्यूपंचर तथा मेग्नेटिक मसाजर इत्यादि।
विद्युत उपचार
इन्फ्रारेटड लैम्प, मसल्स स्टीमुलेटर मसाजर इत्यादि।
इन्फ्रारेटड लैम्प, मसल्स स्टीमुलेटर मसाजर इत्यादि।
योग साधना
नेती, धोती, कुंजल, शंख प्रक्षालन, आसन, प्राणायाम, ध्यान, संगीत चिकित्सा की वैज्ञानिक व्यवस्था।
नेती, धोती, कुंजल, शंख प्रक्षालन, आसन, प्राणायाम, ध्यान, संगीत चिकित्सा की वैज्ञानिक व्यवस्था।
आरोग्य में आने वाले साधक स्वयं तो पूर्ण स्वस्थ होकर जाता ही है, साथ ही वह आजीवन स्वस्थ रह सके, अपने परिवार के समस्त सदस्यों को स्वस्थ रख सके, औषधियों पर व्यय होने वाले हजारों रुपयों को बचा सके, उपचार के समय होने वाली मानसिक तथा शारीरिक परेशानियों से बच सके तथा शानदार स्वस्थ जीवन जी सके, इन सबका व्यवहारिक तथा सैद्धांतिक ज्ञान लेकर जाता है। आज के समय को देखते हुए इसे बहुत बड़ी उपलब्धि मानना गलत नहीं होगा।